Wednesday, February 22, 2012

'प्रेम'पर कुछ दोहे

प्रेम तो है परमात्मा, पावन अमर विचार.
इसको तुम समझो नहीं , महज देह व्यापार.

प्रेम गली कंटक भरी, रखो संभलकर पांव.
जीवन भर भरते नहीं, मिलते ऐसे घाव.

'दर्पण' हमसे लीजिए, बड़े काम की सीख.
दे दो, पर मांगो नहीं, कभी प्यार की भीख.

मन से मन का हो मिलन, तो ही सच्चा प्यार.
मन के बिना जो तन मिले, बड़ा अधम व्यवहार .
... दर्पण

3 comments:

Sunil Kumar said...

सभी दोहे लाजबाब ....

Sunil Kumar said...

कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये

Pradeep Bahuguna Darpan said...

Dhanyawad sunil ji... Bahut bahut aabhar ...............