जिन्दगी को कुछ लोग इतना सस्ता समझ लेते हैं कि खुदकुशी जैसा कायरतापूर्ण कदम उठाने में भी गुरेज नहीं करते . कल ही देहरादून में एक बी0 एस 0सी0 बायोटेक्नोलोजी के छात्र ने केवल इस कारण मौत को गले लगा लिया कि उसके परिवार वाले उसकी शादी उसकी प्रेमिका से करने के लिए तैयार नहीं थे . वैसे तो इस तरह क़ी घटनाएं ग़ाहे - बगाहें होती रहती हैं , लेकिन एक होनहार किशोर द्वारा उठाये गए इस कदम से कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं .
ज़रा सोचिये जिन मां बाप ने उसे पैदा किया , पाल पोस कर बड़ा किया , पढाया लिखाया , मौत को गले लगाते समय उसने उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचा . इतना बड़ा कदम उठाने से पहले उसे अपने भाई का भी बहनों का भी कोई ख्याल नहीं आया , जिनके साथ उसने अपना बचपन बिताया , जिनके साथ हंस खेलकर वो बड़ा हुआ . कहते हैं प्यार अंधा होता है। अगर प्रेमिका के प्रति आकर्षण को ही प्यार मान लिया जाए , तो शायद प्यार की इससे संकीर्ण और स्वार्थपरक परिभाषा कहीं और नहीं मिल सकती . क्या मां बाप , भाई बहन , किसी का भी प्यार उसे नजर नहीं आया .
दोस्तों के साथ गुजारे हुए खुशनुमा पल , मां के दूध की मिठास , बाप की आँखों में छलकता हुआ प्यार का समंदर आखिर उसे नजर क्यों नहीं आया। यकीन मानिए कुछ ही समय बाद उसकी प्रेमिका तो निश्चित रूप से शादी करके अपना घर बसा लेगी. लेकिन अपने परिवार का जो नुकसान उसने किया है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती .
जिन्दगी सबसे बड़ी नेमत होती है, इसे ख़त्म करने का निर्णय सचमुच बेवकूफी ही है. महज शारीरिक आकर्षण को प्यार समझने की भूल करना , और फिर अपने पीछे कई लोगों को जीवन भर का दंश देकर चला जाना . ये न तो प्यार है , और न ही इसमें बड़प्पन की कोई बात है. प्यार का असली आनंद तो समझदारी, त्याग और जिन्दगी के प्रति सकारात्मक सोच में है।
काश उस बेवकूफ ने एक बार भी ऐसा सोच लिया होता ???
6 comments:
अक्ल और उम्र की भेंट नहीं होती है
इसीलिये तो इस तरह की घटना होती है।
hmmmm...pyar ka aik tareeka ye bhi hai...dil se kaam lena...yaha dimaag 0 hi jata hai......
sachmuch bebkoof tha !
aap sabaki tippaniyon ke liye dhanyawad. sachmuch ye bahut hi samvedansheel mudda hai.. jindagi ke prati sakaratmak drishtikon apanane ki jaroorat hai...
sir, vaise to aapne bilkul sahi likha hai, lekin aisa lagta hai ki shayad aapne kabhi kisi ko pyar nahin kiya hai... kash aap ham jaise ladkon ki pareshani ko dekha hota,...
Ho sakta hai Aapko aisa lagata ho, Lekin jindagi ko is tarah mita dena ... Ye samajhdari to nahin ....
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