Saturday, November 7, 2015

रोटी 
सूरज भी लगता है फीका 
चाँद सी दिखती है रोटी।  
धन्य हो  उठता है चूल्हा ,
जब तवे पर सिकती है रोटी। । 

जिंदगी मिल जाती है जब 
भूख में मिलती है रोटी। 
पेट के उजड़े चमन में ,
फूल सी खिलती है रोटी।।

जान की कीमत पे देखो ,
दुनिया में बिकती है रोटी। 
चीन लेती ताज भी तो,
इतिहास भी लिखती है रोटी।। 

जीवन की वीणा से बजता ,
एक मधुर संगीत रोटी. 
संसार के मेहनतकशों का,
है प्रसंशा- गीत रोटी।।

धरती पर मानवता को,
 है अमूल्य भेंट रोटी।
इस जिंदगी का एकमात्र ,
है एकमात्र संकेत रोटी।।
             प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण'



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