Saturday, April 9, 2011

आशा की किरण

अन्ना हजारे और इंडिया अगेन्स्ट करप्शन की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को मिले अपार जन समर्थन ने यह साबित कर दिया है कि आम आदमी अब भ्रष्टाचार के नासूर को समूल नष्ट करने के लिए कमर कस चुका है. अन्ना हजारे , अरविंद केजरीवाल, संतोष हेगडे, शांतिभूषण जैसे लोग उसी आम आदमी का प्रतिनिधित्व करते हैं , जिसकी आंखों में एक खुशहाल और भ्रष्टाचारमुक्त भारत का सपना बसता है.
ये लोग न तो किसी राजनैतिक दल के सदस्य हैं , और न ही इनकी कोई निजी महत्वकांक्षा है. यही कारण है कि इन्होंने इतने कम समय में देश की जनता का विश्वास जीत लिया है , और लोग इन्हें राष्ट्रनायक के रूप में देखने लगे हैं. इनके पीछे जनता की वो ताकत है, जिसने सरकार को भी झुकने पर मजबूर कर दिया. सबकी आंखों में एक आशा की किरण चमकती दिखाई दे रही है.
अगर कोई निराश है तो वो भ्रष्ट राजनेता , नौकरशाह, पूंजीपति लोग जो देश की जडों को खोखला करने में लगे हैं .
अन्ना हजारे के अनशन से इन लोगों की भी कलई खुल गई है. इन सबको सांप सूंघ गया है. समझदारी इसी में है कि ऐसे लोग अपना आचरण सुधार लें, क्योंकि अब जनता इनसे हिसाब मांगने के लिए सडकों पर उतर चुकी है.
निश्चित ही आने वाला कल आज से बेहतर होगा, इसी उम्मीद के साथ अन्ना जैसे राष्ट्रनायकों को प्रणाम...
प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण'

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