Saturday, July 27, 2013

सिर्फ तुम्हारे लिए



( हमारे विवाह की वर्षगांठ पर सिर्फ तुम्हारे लिए )
तेरे अधरों की मुस्कान,
भरती मेरे तन में प्राण.
जीवन की ऊर्जा हो तुम,
साँसों की सरगम की तान.

मैं सीप तुम मेरा मोती ,
मैं दीपक तुम मेरी ज्योति.
कभी पूर्ण न मैं हो पाता ,
संग मेरे जो तुम न होती.

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,
कभी नहीं खुश रख पाया .
तुमने मुझसे पाया घाटा ,
मैंने केवल लाभ कमाया.

बस खुदा से यही प्रार्थना,
खुश रक्खे तुझको हरदम.
मेरे प्राणों की कीमत भी,
तेरी खुशी के लिए है कम.
(प्रदीप बहुगुणा दर्पण’)   

Thursday, June 6, 2013

तेरी अहमियत

जिन्दगी  को तेरी आदत यूं हो गयी ,
कि तेरे बिना हर  पल दुश्वार हो गया .
कुछ  न रहा बाकी अब मेरे हाथ में ,
 हर सांस पर भी तेरा अधिकार हो गया .