तेरी बेरूखी के कारण, करें खुदकुशी भी कैसे
कभी याद करके रो देगा, इस बात का डर है .
फ़ुरसत कहाँ हमें कि ,अपना करें ख्याल
पल पल तेरे बिगड़ते, हालात का डर है.
जलजले में जिसके ,उजडी है दुनिया मेरी,
अश्कों की उस जालिम, बरसात का डर है.
अपना जो दिल है टूटा, कोई फ़िकर नहीं
हमको अभी भी तेरे, जजबात का डर है.
दूर ही सही मगर, तू है तो खुश हैं 'दर्पण'
तेरे बिना तो हर दिन, हर रात का डर है .
प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण' घम्मूवाला,डांडी(रानीपोखरी) देहरादून, उत्तराखंड-248145
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