Friday, March 4, 2011

मानिए गर यकीं.....

गम जुदाई का हमको भी तडपा गया,
मानिए गर यकीं तो मजा आ गया.
उस जुदाई के गम में तो वो दर्द था,
बाद मरने के जीना जो सिखला गया.
गम जुदाई.....


कितने लैला और मजनू मिटे इश्क पर,
जान रांझा को भी अपनी देनी पड़ी.
जिंदगी भर तडपते रहे इश्क में ,
पर न आयी मिलन की कभी वो घड़ी.
तूने उनसे भी कोई सबक न लिया.
मानिए गर यकीं तो मजा आ गया.
गम जुदाई .......

क्यों तडपता मौह्ब्बत में नादान दिल,
सबको मिलती नहीं अपनी मंजिल यहाँ
दोष तेरा ही था तू ये समझा नहीं ,
सब नहीं हैं भरोसे के काबिल यहाँ.
जानते बूझते धोखा तू खा गया.
मानिए गर यकीं तो मजा आ गया .
गम जुदाई......

मेरी मानो तो मत ये मौहब्बत करो,
दिल लगाकर न यूं ठंडी आहें भरो.
जिंदगी खूबसूरत है हंस कर जीयो,
प्यार करना है तो प्यार रब से करो
मानिए गर यकीं तो मजा आ गया .
गम जुदाई.....