भारत की राष्ट्रीय एकता का बीज
वपन करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143 वीं जयंती पर प्रधानमंत्री श्री
नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की विशालकाय प्रतिमा का लोकार्पण किया।राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर 2018 पर लोकार्पित की गई यह प्रतिमा सरदार पटेल के विशाल
व्यक्तित्व व उच्च आदर्शोंकी भांति विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होने का गौरव हासिल
कर चुकी है।
भारत के प्रथम गृह मंत्री तथा
प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस प्रतिमा का निर्माण गुजरात के नर्मदा
जिले में केवड़िया गांव के साधूबेट नामक स्थान पर किया गया है।यह विशालकाय आदमकद प्रतिमा 182 मीटर(597 फुट)ऊंचीहै,जिसेएकता की मूर्ति (स्टैचू आफ
यूनिटी )का नाम दिया गया है। प्रतिमा का आधार 58 मीटर ऊंचा है, जिसे मिलाकर आधार सहित प्रतिमा की ऊंचाई 240 मीटर हो जाती है।सात
किलोमीटर की दूरी से भी दिखाई दे सकने
वाली इस अद्भुत प्रतिमा के पैरों की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की ऊंचाई 70 फीट, कंधे की ऊंचाई 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है। पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त सुप्रसिद्ध मूर्तिकार
राम वनजी सुतार के नेतृत्व में प्रसिद्ध शिल्पकारों के दल ने 5 वर्ष से भी कम समय में विश्व
रिकार्ड के रूप में दर्ज इस प्रतिमा का निर्माण कार्य पूर्ण किया है। प्रतिमा का निर्माण भूकंपरोधी
तकनीक से किया गया है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 6.5 की तीव्रता के भूकंप और 220 किमी प्रति घंटे की तीव्र गति से चलने वाली हवा का भी इस पर
कोई असर नहीं होगा।
राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार सरदार
वल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात में नादियाड़ के एक किसान परिवार में झवेरभाई
पटेल तथा लाडबा देवी की चौथी संतान के रूप में 31 अक्टूबर 1875
को हुआ था।
लंदन से बैरिस्टरी की उच्च
शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात इन्होंने वकालत कार्य शुरू कियाही था
कि ये भारत के
स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। सर्वप्रथम इन्होंने बारडोली सत्याग्रह का
सफलतापूर्वकनेतृत्वकिया। सरदार की उपाधि इन्हें वहीं से मिली।
जब देश आजाद हुआ तो कांग्रेस के अधिकांश
नेता इन्हें प्रधानमंत्री बनाने के पक्षधर थे,किंतु जवाहरलाल
नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने की महात्मा गांधी की
इच्छा का सम्मान करते हुए इन्होंने इस महत्वपूर्ण पद पर दावेदारी नहीं की। स्वतंत्र
भारत की प्रथम सरकार में सरदार पटेल गृहमंत्री तथा उपप्रधानमंत्री बने। सरदार
पटेल ऐसे जननायक थे, जिन्होंने देश की गुलामी केअसली कारण को समझा और
तत्कालीन अलग-थलग पड़ी देशी रियासतों के भारतवर्ष में विलय का बीड़ा उठाया। साम, दाम,दंड भेद आदि सभी उपायों को अपनाते हुए
अपनी कूटनीति के बल पर सरदार पटेल ने 560 से भी अधिक देसी रियासतों को भारतवर्ष
का अंग बनाया।दूसरे शब्दों में कहेंतो संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में
बांधने का दुष्कर कार्य सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बड़ी सूझ-बूझ के साथकिया। भारत का वर्तमान संघीय स्वरूप सरदार बल्लभ
भाई पटेल की ही देन है।देश की एकता का सूत्रपात करने के कारण ही इनका जन्मदिवस राष्ट्रीय एकता
दिवस के रूप में मनाया जाता है,यही कारण है कि इनकी इस
प्रतिमा को एकता की
मूर्ति (स्टैचू आफ यूनिटी )का नाम दिया गया है।
विश्व की अन्य सबसे ऊंची प्रतिमाएं:
1.एकता की मूर्ति
(भारत): 182 मीटर
2.स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा (चीन): 153 मीटर
3.लैक्यून सैटक्यार (म्यांमार): 116 मीटर
4.यू्शिकु दाईबुत्शु (जापान): 120 मीटर
5.स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (अमेरिका): 93 मीटर
6.द मदरलैंड कॉल्स (रूस): 85 मीटर
7.क्राइस्ट द रीडीमर (ब्राजील): 38 मीटर
लौह निर्मित इस मूर्ति पर कांस्यधातु का लेपनकिया गया है। मूर्ति का आधारत्रि-स्तरीय बनाया गया है, जिसमे प्रदर्शनी स्थल, छज्जा और छत शामिल हैं। छत पर उद्यान , विशाल संग्रहालय तथा प्रदर्शनी हॉल है
जिसमे सरदार पटेल के जीवन के विभिन्न पक्षों को दर्शाया गया है।इस प्रतिमा के अंदर उच्च
तकनीक पर आधारित एक लिफ्ट भी लगाई गई है।
इससे पर्यटक सरदार पटेल की मूर्ति के हृदयस्थल तक जाकर सरदार सरोवर बांध के अलावा
नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का
भी अवलोकन कर सकते हैं।मूर्ति के समीपएक
आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखी जा सकती है। इसमें खान-पानके स्टॉल, उपहार की दुकानें, और अन्य सुविधाएँभी शामिल हैं, जिससे पर्यटकों को अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त होगा।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत
के गौरव का प्रतीक चिन्ह यह एकता की मूर्ति राष्ट्रीय एकता का तीर्थ होने के साथ-साथ
देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र साबित होगी।
--प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’
घम्मूवाला, डांडी(रानीपोखरी)
देहरादून(उत्तराखंड)-248145
दूरभाष: 9997397038