रोटी
सूरज भी लगता है फीका
चाँद सी दिखती है रोटी।
धन्य हो उठता है चूल्हा ,
जब तवे पर सिकती है रोटी। ।
जिंदगी मिल जाती है जब
भूख में मिलती है रोटी।
पेट के उजड़े चमन में ,
फूल सी खिलती है रोटी।।
जान की कीमत पे देखो ,
दुनिया में बिकती है रोटी।
चीन लेती ताज भी तो,
इतिहास भी लिखती है रोटी।।
जीवन की वीणा से बजता ,
एक मधुर संगीत रोटी.
संसार के मेहनतकशों का,
है प्रसंशा- गीत रोटी।।
धरती पर मानवता को,
है अमूल्य भेंट रोटी।
इस जिंदगी का एकमात्र ,
है एकमात्र संकेत रोटी।।
प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण'