भ्रष्टाचार आजकल हमारे देश में एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिस पर अब लोगों ने ध्यान देना ही छोड दिया है. यही कारण है कि दिन प्रतिदिन कोई न कोई नया घोटाला सामने आता तो है, पर हमारे लिये इसे जानना कोई नई बात नहीं होती. हम अखबार पढ़्ते हैं, समाचार सुनते हैं, और फ़िर भूल जाते है. किसी नए घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर आया नहीं, कि पुराना वाला गायब हो जाता है. हर घोटाले को हम आदतन भूल जाते हैं.
यही कारण है कि देश को दीमक की तरह चाटने वाले घोटालेबाज बड़ी शान से खुले घूम रहे हैं. हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली का इससे बड़ा विद्रूप और क्या हो सकता है. राजनेता और नौकरशाह तो बड़े बड़े घोटाले कर ही रहे हैं, न्याय की मूर्ति समझे जाने वाले जजों पर भी उंगलियां उठने लगी हैं. दर असल भ्रष्टाचार के हमाम में सभी नंगे होकर कूद पड़े हैं. और जब ये सभी नंगे हैं तो फ़िर शर्म कैसी?
ऐसे माहौल में अगर कोई पिस रहा है तो बेचारा आम आदमी. दो जून की रोटी का जुगाड हो जाये तो उसके लिए बहुत बड़ी बात है. आम आदमी ही जिन्हें चुनकर खास बनाता है , वे लोग उसी का खून चूसकर उसे ही भेड बकरी समझने लगते हैं. अपने दर्द में डूबा आम आदमी इनकी सारी गलतियों को भुला द
ेता है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश बरबाद हो जाएगा.
क्या हम उसी दिन के इंतजार में बैठे हैं ??
आइए भ्रष्टाचार को जड से उखाड फ़ेंकने की पहल करें........
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