( हमारे विवाह की वर्षगांठ पर सिर्फ तुम्हारे लिए ) |
तेरे अधरों की मुस्कान,
भरती मेरे तन में प्राण.
जीवन की ऊर्जा हो तुम,
साँसों की सरगम की तान.
मैं सीप तुम मेरा मोती ,
मैं दीपक तुम मेरी ज्योति.
कभी पूर्ण न मैं हो पाता ,
संग मेरे जो तुम न होती.
किन्तु दुख है कि मैं तुमको,
कभी नहीं खुश रख पाया .
तुमने मुझसे पाया घाटा ,
मैंने केवल लाभ कमाया.
बस खुदा से यही प्रार्थना,
खुश रक्खे तुझको हरदम.
मेरे प्राणों की कीमत भी,
तेरी खुशी के लिए है कम.
(प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’)