Tuesday, October 9, 2018

शिक्षा जगत से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए पठनीय पुस्तक...


पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का नाम:  शिक्षा का अधिकार
               स्थिति और प्रभाव
 ले : डॉ.सुनील कुमार गौड़
 मूल्य: रु.120   पृष्ठ : 106
प्रकाशक : समय साक्ष्य,
        15 फालतू लाइन,
         देहरादून-248001 




शिक्षा समाज की आधारशिला है। प्रत्येक बच्चे को शिक्षा उपलब्ध कराने के संवैधानिक दायित्व की पूर्ति के लिए 1 अप्रैल 2010 से भारतवर्ष में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू किया गया।शिक्षा के सार्वभौमीकरण की दिशा में यअधिनियम मील का पत्थर है, किंतु यह अधिनियम क्या है? इसके क्या प्रावधान हैं? उत्तराखंड में इसके क्रियान्वयन की स्थिति क्या है तथा शिक्षा प्रणाली पर इसका क्या प्रभाव दृष्टिगोचर हो रहा है? ऐसे प्रश्नों का उत्तर सरल भाषा में प्रस्तुत करती है डॉ. सुनील कुमार गौड़ की सद्यप्रकाशित पुस्तक शिक्षा का अधिकार स्थिति और प्रभाव
        पुस्तक के हस्तगत होते ही सबसे पहले आवरण  पृष्ठ पर दृष्टि ठहरती है सरकारी स्कूल की किसी कक्षा में अध्ययनरत बच्चों की आंखों में तैरते सपनों को शिक्षा के प्रति संवेदनशील कोई भी व्यक्ति स्पष्ट रूप से देख सकता है।  आठ  अध्यायों  में विभक्त य पुस्तक शिक्षा के अधिकार से संबंधित एक सैद्धांतिक आख्यान ही नहीं बल्कि धरातलीय शोध का प्रतिफल है, जो शिक्षा के अधिकार से संबंधित अनेक छोटे-बड़े प्रश्नों  एवं शंकाओं  का समाधान  प्रस्तुत करती है।  शिक्षा के अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा के सार्वभौमीकरण हेतु किए गए प्रयासों की संक्षिप्त जानकारी देते हुए भारत में शिक्षा के अधिकार से संबंधित प्रमुख शोध कार्यों को भी पुस्तक में स्थान दिया गया है। उत्तराखंड में निजी विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुसार अपवंचित तथा कमजोर वर्गों के छात्रों का प्रवेश कराया जाता है पुस्तक में इन बच्चों पर किए गए शोध की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई है, जो इन विद्यार्थियों की वर्तमान स्थिति एवं इस अधिनियम के प्रभावों पर व्यापक दृष्टि डालती है। लेखक द्वारा जुटाए गए महत्वपूर्ण आंकड़े तथा शोध के  परिणाम शिक्षाविदों, शिक्षा  प्रशासकों,शिक्षकों, अभिभावकों एवं शिक्षा के सभी हितधारकों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
        डॉ. सुनील कुमार गौड़ के पास राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड में शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में कार्य करने का वृहद अनुभव है।उनके शिक्षा संबंधी कई शोधपत्र राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं।शिक्षा से जुड़े इस महत्वपूर्ण अधिनियम पर किए गए शोध कार्य को भी उनके द्वारा सरल व पठनीय रूप में पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पाठक शिक्षा के अधिकार अधिनियम संबंधी इस महत्वपूर्ण कृति से लाभान्वित होंगे।
                                                                                             
      इस पुस्तक को समय साक्ष्य प्रकाशन के खाता संख्या 76008534338 में केवल 120 रूपए जमा करके घर बैठे भी मंगाया जा सकता है। यह खाता उत्तराखंड ग्रामीण बैंक की देहरादून शाखा में हैं। जिसका आईएफएससी कोड SBIN0RRUTGB है। पैसे जमा कर अपना पता और इसकी सूचना प्रवीन कुमार भट्ट ,प्रतिनिधि -समय साक्ष्य, के व्हाटसएप नम्बर 7579243444 पर भेज दें। धनराशि इसी नम्बर 7579243444 पर पेटीएम के माध्यम से भी भेजी जा सकती है। किताब आपको भेज दी जाएंगी।             
                                                                  --प्रदीप बहुगुणा दर्पण

                                                                                                                         

Thursday, August 2, 2018

ये क्या देखता हूँ

किसी बुरी शै का असर देखता हूं ।
जिधर देखता हूं जहर देखता हूं ।।

रोशनी तो हो गई अंधेरों में जाकर।
अंधेरा ही शामो सहर देखता हूं ।।

किसी को किसी की खबर ही नहीं है।
जिसे देखता हूं बेखबर देखता हूं ।।

ये मुर्दा से जिस्म जिंदगी ढो रहे हैं।
हर तरफ ही ऐसा मंजर देखता हूं ।।

लापता है मंजिल मगर चल रहे हैं।
एक ऐसा अनोखा सफर देखता हूँ।।

चिताएं जली हैं खुद रही हैं कब्रें।
मरघट में बदलते घर देखता हूं ।।

परेशां हूं दर्पण ये क्या देखता हूं ।
मैं क्यों देखता हूं ,किधर देखता हूँ।।
         ---–- प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण'

Friday, January 5, 2018

नव वर्ष पर

वर्ष नूतन आ गया है, प्यार और उल्लास लेकर।
आ गया लेकर उमंगें, एक नया अहसास लेकर॥
वर्ष नूतन..
क्या खो दिया क्या पा लिया , तुम जरा ये सोच लो।
वर्ष  आगत  के लिए नव, लक्ष्य  बिन्दु  खोज लो।।
बढ़ चलो प्रगति के पथ पर, जीत का विश्वास लेकर।
वर्ष नूतन...
खिल उठें फूलों की कलियाँ, उतारें हर आँगन में  खुशियाँ।
आयें फिर नूतन बहारें, महके हर जीवन की बगिया॥
हर नया पल  आए अपने, संग में मधुमास लेकर॥
वर्ष नूतन....
आज तक जो हो गई हैं, गलतियों से हम सबक लें।
अब न कोई भूल होगी, बात ये दिल से समझ लें।।
चल पड़ें डग अब तो आगे,सबको अपने साथ लेकर॥
वर्ष नूतन ....
                        प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण'