Friday, January 5, 2018

नव वर्ष पर

वर्ष नूतन आ गया है, प्यार और उल्लास लेकर।
आ गया लेकर उमंगें, एक नया अहसास लेकर॥
वर्ष नूतन..
क्या खो दिया क्या पा लिया , तुम जरा ये सोच लो।
वर्ष  आगत  के लिए नव, लक्ष्य  बिन्दु  खोज लो।।
बढ़ चलो प्रगति के पथ पर, जीत का विश्वास लेकर।
वर्ष नूतन...
खिल उठें फूलों की कलियाँ, उतारें हर आँगन में  खुशियाँ।
आयें फिर नूतन बहारें, महके हर जीवन की बगिया॥
हर नया पल  आए अपने, संग में मधुमास लेकर॥
वर्ष नूतन....
आज तक जो हो गई हैं, गलतियों से हम सबक लें।
अब न कोई भूल होगी, बात ये दिल से समझ लें।।
चल पड़ें डग अब तो आगे,सबको अपने साथ लेकर॥
वर्ष नूतन ....
                        प्रदीप बहुगुणा 'दर्पण' 

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