बुखारी का बुखार
लगता है अयोध्या मामले पर न्यायालय का निर्णय आने के बाद कई लोगों की राजनीति की दुकान बंद होने के कगार पर है. ऐसे लोग यही सोच रहे हैं कि देश मे कोइ बवाल क्यों नहीं मचा, दंगों की आग क्यों नहीं भड़की, जिस पर राजनीति की रोटियां सेकी जा सकती थी. दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम जनाब बुखारी जी को भी इसी कारण बदहजमी हो गयी है,शायद इसीलिये उन्होंने महज एक सवाल पूछने पर एक पत्रकार को बुरी बुरी गालियां सुनायी और पिटवा भी दिया. दर असल उस बेचारे ने सवाल ही ऐसा पूछ लिया था कि जिसका जबाब बुख़ारी जी जानते तो हैं पर बोल नही सकते.
सच से मुंह छिपाकर अधिसंख्य मुसलमानों को भड़काकर बुख़ारी महोदय अब तक अपनी दुकान चलाते आये हैं . कभी किसी विशेष दल के लिये वोट डालने का फ़तवा जारी करते हैं तो कभी किसी के खिलाफ़ आग उगलते हैं .
और अब जब देश में लगी सांप्रदायिक आग की तपिश उन्हें कम होती नजर आयी तो जनाब का बौखलाना स्वाभाविक ही है. यही कारण हैं कि जहां कट्टरवादी माने जाने वाले हिंदू संगठन और अधिकांश मुस्लिम पैरोकार न्यायालय के फैसले का स्वागत कर रहे हैं , वहीं बूख़ारी जैसे लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं......
सिमी और आर एस एस को एक जैसा कहने वाले लोग और सेकुलरिज्म का चोला पहनकर राजनीति की दुकान चलाने वालों का इस मुद्दे पर खामोश रहना कई प्रश्न खडे करता है. गनीमत है कि बुख़ारी जी से यह सवाल एक मुस्लिम पत्रकार ने पूछा था, वरना कुछ और भी बुरा हो सकता था.
क्या अब भी आप नहीं मानेंगे कि बुख़ारी जी को ऐसा बुखार हो गया है जिसकी दवा सेकुलर डाक्टरों के पास नहीं हैं ?????
2 comments:
very true!
yes i think, you are absolutely right.
Post a Comment